उसके खुले बाल और आंखों के काजल के हम कायल,
उसका सांवला सा रंग और मनमोहक अदाओं का सैलाब।
उसके बिजलिया गिराते नयन होठों के नीचे तिल और पाओ में पायल,
पहन कर साड़ी और करके एक तरफ को केश मचाती है मेरे दिल में बवाल।
ए मुसाफ़िर इंसानों की तो बात ही क्या करू वो तो अधरों के बाण से देवताओं को भी करती हैं घायल।
©Musafir ke ehsaas
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