क्यों हर वक़्त आज ठहरा हुआ है
क्यों हर जख्म आज गहरा हुआ है
इन आँखों में पानी कम था क्या
जो यूँ बेबजाह आज बारिश हुआ है
ये तेरी नजरो का ही कमाल है ना
उन खुले जुल्फे का ही बबाल है ना
क्यों हर गली गली आज महका हुआ है
अरे बता तो सही क्या कोई और आशिक़ फ़िदा हुआ है।।
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