तुम्हारा चेहरा कभी सुबह का
इक सितारा सा लगता है,
भोर का यह तारा मुझको बड़ा प्यारा लगता है,
मुलाकात जो हो जाए तुमसे,
तो इमली भी मीठी लगती है,
और बिछड़ते वक्त शहद भी,
अति कड़वा लगता है,
सारी रैना तुम जागे साथ हमारे, है ना ?
चलो जल्दी बताओ चंदा तुम हमारे कौन हो हां,
इतनी भी किसमे शराफत होती है,
कोई बंदा कभी इतना प्यारा न होता है,
यूं तो तितली फूलों को घेरे रहती है,
फिर भी क्यों चमन में फूल,
अब भी कंवारा लगता है,
जो दिखते हैं तुम्हें वह हम ही कहां यारों,
हम तो वक्त के राहों में भटके रहते हैं।
©Shreya Shukla
#Hum