White कल रात मेरा मेरी वालिदा से किसी बात पर बहस ह | हिंदी Life

"White कल रात मेरा मेरी वालिदा से किसी बात पर बहस हुए , और मैं सामने की मेज़ पर जो की मेरे हाथ में कुछ पेपर थे , उठा के फेक दिया और गुस्से से मै दरवाज़ा खोला और धड़ाम , की आवाज के साथ दरवाज़ा बंद कर दिया और मैं बाहर चल गया बाहर निकल दोस्तो से मिला चाय पिया बाते करने लगा , बहुत सारी बाते हो ही रही थी कि दिल में बड़ी बेचैनी सी पैदा होने लगी , पूरा जिस्म ठंडा सा पड़ गया , हाथ पाव कांपने लगे , अजीब सी कैफियत होने लगी , गला सूखने लगा , मेरे साथ वह सारे दोस्त खड़े थे मगर किसी को कुछ ज्यादा एहसास न हुआ , कि मुझे कैसा महसूस हो रहा या मैं किस परेशानी में मुब्तिला हूं , मुझे दोस्तो के साथ खड़ा रहना थी नहीं लगा जैसे मेरी तबियत खराब हो रही हो , मुझे उस वक्त सारा ज़माना एक अलग सी ही झुंझलाहट महसूस करा रहा था जैसे मेरा कोय है, नहीं या मैं किसी के लिए कुछ नहीं हूं , किसी को कुछ खबर ही नहीं की मेरे साथ चल क्या रहा है , अचानक से मुझे चक्कर सा महसूस होने लगा लगा जैसे कि सब कुछ मेरे आगे घूम सा रहा है , मैं पागलों की तरह से घर की तरफ वापिस लौटा और भागते भागते जो कि मुझे ठंड लग रही थी अब मैं पसीने से चूर तर था , दिल की धड़कन बढ़ गई थी सांसे तेज चलने लगी थी , बेहोशी सी च रही थी , दरवाजे तक पहुंच ही पता की एक दो बार मैं लड़ खड़ा चुका था , और गिर गया था जिसकी वजह से मेरा थोड़ा चिल गया था , जब दरवाजे पर दस्तक दी तो मेरी ( मां ) ने दरवाज़ा खोला और वो मुझसे ज्यादा मुझे देखकर परेशान मुझे सहारा देकर सोफे पर लिटाया जो कि बरामदे में था , कुछ देर लेटने के बाद मुझे फिर ठंड महसूस होने लगी , मेरी मां जो कि मुझसे खफा थी वो भूल गई कि अभी कुछ देर पहले मैने उनसे कितनी बदतमीजी की थी , उन्हें पता नहीं जैसे कि अभी कुछ हुआ भी था , वो सब भूल गई , खुद ही डाक्टर बन कर मेरा घरेलू इलाज किया जब मेरे हालात थोड़ा सुधरे तो , मैं नजर मिलाने के काबिल न रहा , शर्म से सर झुक गया और भूत रोने का दिल किया मगर रो नहीं पाया , मगर मेरी मां मुझे देखकर जिनका आंसू नहीं रुक रहे थे, मैने उनसे माफी मांगी और कसम खाया कि आइंदा इस तरह का ग़लती नहीं करूंगा , मां का दिल दुखाना मुझे किसी गुनाह से कम नहीं लगा , उनको देखकर अपने रूम में मै जाकर जो रोया बिना आवाज़ के वो दिन इंशाल्लाह द्वारा कभी नहीं आने दूंगा कि मैं अपनी मां की बदसलूकी करूं या उनसे बतदमीजी से बात करूं मैने उनसे माफी मांगा उन्होंने माफ किया उसके बाद जो दिल को सुकून मिला लगा नई जिंदगी मिल गई दुबारा ।। ©Siddiqui Adnan"

 White कल रात मेरा मेरी वालिदा से किसी बात पर बहस हुए ,
और मैं सामने की मेज़ पर जो की मेरे हाथ में कुछ पेपर थे , 
उठा के फेक दिया और गुस्से से मै दरवाज़ा खोला और धड़ाम ,
 की आवाज के साथ दरवाज़ा बंद कर दिया और मैं बाहर चल गया 
बाहर निकल दोस्तो से मिला चाय पिया बाते करने लगा 
, बहुत सारी बाते हो ही रही थी कि दिल में बड़ी बेचैनी सी पैदा होने लगी ,
 पूरा जिस्म ठंडा सा पड़ गया , हाथ पाव कांपने लगे 
, अजीब सी कैफियत होने लगी , गला सूखने लगा , 
मेरे साथ वह सारे दोस्त खड़े थे मगर किसी को कुछ ज्यादा एहसास न हुआ 
, कि मुझे कैसा महसूस हो रहा या मैं किस परेशानी में मुब्तिला हूं , 
मुझे दोस्तो के साथ खड़ा रहना थी नहीं लगा जैसे मेरी तबियत खराब हो रही हो , 
मुझे उस वक्त सारा ज़माना एक अलग सी ही झुंझलाहट महसूस करा रहा था जैसे मेरा कोय है,
 नहीं या मैं किसी के लिए कुछ नहीं हूं , किसी को कुछ खबर ही नहीं की मेरे साथ चल क्या रहा है , 
अचानक से मुझे चक्कर सा महसूस होने लगा लगा जैसे कि सब कुछ मेरे आगे घूम सा  रहा है , 
मैं पागलों की तरह से घर की तरफ वापिस लौटा और भागते भागते 
जो कि मुझे ठंड लग रही थी  अब मैं पसीने से चूर तर था ,
 दिल की धड़कन बढ़ गई थी सांसे तेज चलने लगी थी , बेहोशी सी च रही थी ,
 दरवाजे तक पहुंच ही पता की एक दो बार मैं लड़ खड़ा चुका था , 
और गिर गया था जिसकी वजह से मेरा थोड़ा चिल गया था , 
जब दरवाजे पर दस्तक दी तो मेरी ( मां  ) ने दरवाज़ा खोला 
और वो मुझसे ज्यादा मुझे देखकर परेशान मुझे सहारा देकर सोफे पर लिटाया 
जो कि बरामदे में था , कुछ देर लेटने के बाद मुझे फिर ठंड महसूस होने लगी ,
मेरी मां जो कि मुझसे खफा थी वो भूल गई कि अभी कुछ देर पहले मैने उनसे कितनी बदतमीजी की थी , 
उन्हें पता नहीं जैसे कि अभी कुछ हुआ भी था , 
वो सब भूल गई , खुद ही डाक्टर बन कर मेरा घरेलू इलाज किया जब मेरे हालात थोड़ा सुधरे तो , 
मैं नजर मिलाने के काबिल न रहा , शर्म से सर झुक गया और भूत रोने का दिल किया मगर रो नहीं पाया
 , मगर मेरी मां मुझे देखकर जिनका आंसू नहीं रुक रहे थे, 
मैने उनसे माफी मांगी और कसम खाया कि आइंदा इस तरह का ग़लती नहीं करूंगा , 
मां का दिल दुखाना मुझे किसी गुनाह से कम नहीं लगा ,
 उनको देखकर अपने रूम में मै जाकर जो रोया बिना
 आवाज़ के वो दिन इंशाल्लाह द्वारा कभी नहीं आने दूंगा कि मैं 
अपनी मां की बदसलूकी करूं या उनसे बतदमीजी से बात करूं 
मैने उनसे माफी मांगा उन्होंने माफ किया उसके बाद जो दिल को सुकून मिला 
लगा नई जिंदगी मिल गई दुबारा ।।

©Siddiqui Adnan

White कल रात मेरा मेरी वालिदा से किसी बात पर बहस हुए , और मैं सामने की मेज़ पर जो की मेरे हाथ में कुछ पेपर थे , उठा के फेक दिया और गुस्से से मै दरवाज़ा खोला और धड़ाम , की आवाज के साथ दरवाज़ा बंद कर दिया और मैं बाहर चल गया बाहर निकल दोस्तो से मिला चाय पिया बाते करने लगा , बहुत सारी बाते हो ही रही थी कि दिल में बड़ी बेचैनी सी पैदा होने लगी , पूरा जिस्म ठंडा सा पड़ गया , हाथ पाव कांपने लगे , अजीब सी कैफियत होने लगी , गला सूखने लगा , मेरे साथ वह सारे दोस्त खड़े थे मगर किसी को कुछ ज्यादा एहसास न हुआ , कि मुझे कैसा महसूस हो रहा या मैं किस परेशानी में मुब्तिला हूं , मुझे दोस्तो के साथ खड़ा रहना थी नहीं लगा जैसे मेरी तबियत खराब हो रही हो , मुझे उस वक्त सारा ज़माना एक अलग सी ही झुंझलाहट महसूस करा रहा था जैसे मेरा कोय है, नहीं या मैं किसी के लिए कुछ नहीं हूं , किसी को कुछ खबर ही नहीं की मेरे साथ चल क्या रहा है , अचानक से मुझे चक्कर सा महसूस होने लगा लगा जैसे कि सब कुछ मेरे आगे घूम सा रहा है , मैं पागलों की तरह से घर की तरफ वापिस लौटा और भागते भागते जो कि मुझे ठंड लग रही थी अब मैं पसीने से चूर तर था , दिल की धड़कन बढ़ गई थी सांसे तेज चलने लगी थी , बेहोशी सी च रही थी , दरवाजे तक पहुंच ही पता की एक दो बार मैं लड़ खड़ा चुका था , और गिर गया था जिसकी वजह से मेरा थोड़ा चिल गया था , जब दरवाजे पर दस्तक दी तो मेरी ( मां ) ने दरवाज़ा खोला और वो मुझसे ज्यादा मुझे देखकर परेशान मुझे सहारा देकर सोफे पर लिटाया जो कि बरामदे में था , कुछ देर लेटने के बाद मुझे फिर ठंड महसूस होने लगी , मेरी मां जो कि मुझसे खफा थी वो भूल गई कि अभी कुछ देर पहले मैने उनसे कितनी बदतमीजी की थी , उन्हें पता नहीं जैसे कि अभी कुछ हुआ भी था , वो सब भूल गई , खुद ही डाक्टर बन कर मेरा घरेलू इलाज किया जब मेरे हालात थोड़ा सुधरे तो , मैं नजर मिलाने के काबिल न रहा , शर्म से सर झुक गया और भूत रोने का दिल किया मगर रो नहीं पाया , मगर मेरी मां मुझे देखकर जिनका आंसू नहीं रुक रहे थे, मैने उनसे माफी मांगी और कसम खाया कि आइंदा इस तरह का ग़लती नहीं करूंगा , मां का दिल दुखाना मुझे किसी गुनाह से कम नहीं लगा , उनको देखकर अपने रूम में मै जाकर जो रोया बिना आवाज़ के वो दिन इंशाल्लाह द्वारा कभी नहीं आने दूंगा कि मैं अपनी मां की बदसलूकी करूं या उनसे बतदमीजी से बात करूं मैने उनसे माफी मांगा उन्होंने माफ किया उसके बाद जो दिल को सुकून मिला लगा नई जिंदगी मिल गई दुबारा ।। ©Siddiqui Adnan

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