ये मोहब्बत है मेरी जो तुझे भुला नहीं पाया, अब तक य | हिंदी शायरी

"ये मोहब्बत है मेरी जो तुझे भुला नहीं पाया, अब तक या किसी और के ना मिलने से, हावी, अकेलापन मेरा। सिर्फ फरेब ही रहा हर बार इन गजलो में मेरी क्यों इकतरफा सा है, ए कलम , ये बांझपन तेरा। ©Shekhar Kaushik"

 ये मोहब्बत है मेरी जो तुझे भुला नहीं पाया, अब तक
या किसी और के ना मिलने से, हावी, अकेलापन मेरा।

सिर्फ फरेब ही रहा हर बार इन गजलो में मेरी
क्यों इकतरफा सा है, ए कलम , ये बांझपन तेरा।

©Shekhar Kaushik

ये मोहब्बत है मेरी जो तुझे भुला नहीं पाया, अब तक या किसी और के ना मिलने से, हावी, अकेलापन मेरा। सिर्फ फरेब ही रहा हर बार इन गजलो में मेरी क्यों इकतरफा सा है, ए कलम , ये बांझपन तेरा। ©Shekhar Kaushik

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