White समाज क्यों बना है? एक अच्छा समाज बनाने के लि | हिंदी विचार

"White समाज क्यों बना है? एक अच्छा समाज बनाने के लिए हमें सभी लोगों को एक साथ रहने में मदद करनी चाहिए। हमें एक-दूसरे की राय को समझना और सम्मान करना चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए और हमें एक-दूसरे की मदद करना चाहिए जब कभी भी जरूरत हो। हमें अपने समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार, जब हम सभी मिलकर काम करेंगे और एक-दूसरे की मदद करेंगे,तब हमारा समाज सुखी और समृद्ध बनेगा। मेरी राय में आज का समाज समाज का अर्थ ज्यादातर लोगों के लिए होता है चार सयाने बनने वाले ऐसे लोगों को दूसरों की जिंदगियों को नियंत्रित और शासित करने का ठेका दे देना जो डरावनी हद तक नयेपन और परिवर्तन के विरोधी हों तथा हर बात में संस्कृति का डंडा लोगों के मुँह में ठूँसते रहते हों। इस तरह समाज लोगों के आत्मपीड़न की संस्थात्मक आत्माभिवक्ति का भौतिक स्वरुप बन जाता है। फिर ये चार लोग दुनियां भर की चीजों की ठेकेदारी ले लेते हैं जिनमें धर्म, राष्ट्र, जात, व्यवसाय, वर्ण, वगैरह जैसी चीजें होती हैं। इस तरह के आत्मपीड़न आधारित समाज की ना मैं ठेंगा परवाह करता हूँ, ना ही ऐसे किसी समाज से 'पूर्ण विरोध' से एक इंच कम का कोई नजरिया रखता हूँ। मेरे लिए संसार में दो तरह के लोग हैं: जिनको मैं जानता हूँ और जिनको मैं नहीं जानता हूँ। ©sanjay Kumar Mishra"

 White समाज क्यों बना है?
एक अच्छा समाज बनाने के लिए हमें सभी लोगों को एक साथ रहने में मदद करनी चाहिए। हमें एक-दूसरे की राय को समझना और सम्मान करना चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए और हमें एक-दूसरे की मदद करना चाहिए जब कभी भी जरूरत हो। हमें अपने समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार, जब हम सभी मिलकर काम करेंगे और एक-दूसरे की मदद करेंगे,तब हमारा समाज सुखी और समृद्ध बनेगा।
मेरी राय में आज का समाज 
समाज का अर्थ ज्यादातर लोगों के लिए होता है चार सयाने बनने वाले ऐसे लोगों को दूसरों की जिंदगियों को नियंत्रित और शासित करने का ठेका दे देना जो डरावनी हद तक नयेपन और परिवर्तन के विरोधी हों तथा हर बात में संस्कृति का डंडा लोगों के मुँह में ठूँसते रहते हों। इस तरह समाज लोगों के आत्मपीड़न की संस्थात्मक आत्माभिवक्ति का भौतिक स्वरुप बन जाता है।
फिर ये चार लोग दुनियां भर की चीजों की ठेकेदारी ले लेते हैं जिनमें धर्म, राष्ट्र, जात, व्यवसाय, वर्ण, वगैरह जैसी चीजें होती हैं। इस तरह के आत्मपीड़न आधारित समाज की ना मैं ठेंगा परवाह करता हूँ, ना ही ऐसे किसी समाज से 'पूर्ण विरोध' से एक इंच कम का कोई नजरिया रखता हूँ। मेरे लिए संसार में दो तरह के लोग हैं: जिनको मैं जानता हूँ और जिनको मैं नहीं जानता हूँ।

©sanjay Kumar Mishra

White समाज क्यों बना है? एक अच्छा समाज बनाने के लिए हमें सभी लोगों को एक साथ रहने में मदद करनी चाहिए। हमें एक-दूसरे की राय को समझना और सम्मान करना चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए और हमें एक-दूसरे की मदद करना चाहिए जब कभी भी जरूरत हो। हमें अपने समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार, जब हम सभी मिलकर काम करेंगे और एक-दूसरे की मदद करेंगे,तब हमारा समाज सुखी और समृद्ध बनेगा। मेरी राय में आज का समाज समाज का अर्थ ज्यादातर लोगों के लिए होता है चार सयाने बनने वाले ऐसे लोगों को दूसरों की जिंदगियों को नियंत्रित और शासित करने का ठेका दे देना जो डरावनी हद तक नयेपन और परिवर्तन के विरोधी हों तथा हर बात में संस्कृति का डंडा लोगों के मुँह में ठूँसते रहते हों। इस तरह समाज लोगों के आत्मपीड़न की संस्थात्मक आत्माभिवक्ति का भौतिक स्वरुप बन जाता है। फिर ये चार लोग दुनियां भर की चीजों की ठेकेदारी ले लेते हैं जिनमें धर्म, राष्ट्र, जात, व्यवसाय, वर्ण, वगैरह जैसी चीजें होती हैं। इस तरह के आत्मपीड़न आधारित समाज की ना मैं ठेंगा परवाह करता हूँ, ना ही ऐसे किसी समाज से 'पूर्ण विरोध' से एक इंच कम का कोई नजरिया रखता हूँ। मेरे लिए संसार में दो तरह के लोग हैं: जिनको मैं जानता हूँ और जिनको मैं नहीं जानता हूँ। ©sanjay Kumar Mishra

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