साथी तेरे साथ से हर खुशी मययसर है मुझे
तेरे होने से कायनात है मेरी यह शायद मालूम नही है तुझे
तेरी बेरुखी से सासे थम जाती है मेरी,तेरी एक हँसी से जिनदगी मिल जाती है मुझे
साथी तेरे साथ से हर खुशी मययसर है मुझे
तू दूर होती हो मुझसे तो जिनदगी वीरान से लगती है मुझे
हर शय दुनिया की अनजान से लगती है मुझे
तपते रेगिसतान सी सुलगती रहती है जिनदगी मेरी
तेरे पास होने से मिलती है फिर राहत सी मुझे
तू गैर है इसका भी अहसास है दिलको
मगर न जाने कयो लगती हो तुम मेरी चाहत सी मुझे
साथी तेरै साथ से हर खुशी मययसर है मुझे
तेरे होने से कायनात है मेरी,यह शायद मालूम नही है तुझे
©deepak raina
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