White चाहत नहीं रही... कि बंद मुट्ठियों को खोलूं म | हिंदी शायरी

"White चाहत नहीं रही... कि बंद मुट्ठियों को खोलूं मैं.... आदत में अब शुमार है... तेरा रेत सा फिसल जाना। 🍁🍁🍁 ©Neel"

 White चाहत नहीं रही... कि बंद मुट्ठियों को खोलूं मैं....
आदत में अब शुमार है... तेरा रेत सा फिसल जाना।

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©Neel

White चाहत नहीं रही... कि बंद मुट्ठियों को खोलूं मैं.... आदत में अब शुमार है... तेरा रेत सा फिसल जाना। 🍁🍁🍁 ©Neel

बंद मुट्ठी 🍁

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