तुमसे एक शाम एक बार मुलाक़ात हो ।
तुम ठहरो पल दो पल और तुमसे बात हो।।
भुला के सारे गिले शिकवे तुमको लगा लूँ सीने से ।
विद्रोही जब बेक़ाबू मेरे जज़्बात हो।।
जब तुम जाने लगो ,मैं तुम्हें रोकना चाहूँ पर रोक न पाऊँ।
और अचानक उसी समय बरसात हो।।
तुम जाने की जिद करो और मैं रुकने की ।
तुम उस बारिश में फ़िसल कर मेरी बाहों में गिरो।।