न मांझी, न रहबर, न हक़ में हवाएं है कश्ती भी जर्जर | हिंदी Shayari Vid

"न मांझी, न रहबर, न हक़ में हवाएं है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफ़र है। ©lafz "

न मांझी, न रहबर, न हक़ में हवाएं है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफ़र है। ©lafz

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