ये चाँद न जाने किन किन बातों का गवाह है चलो अच्छा | हिंदी कविता

"ये चाँद न जाने किन किन बातों का गवाह है चलो अच्छा ही है कि वो खामोश है वरना तुम रोते जब वो तुम्हें सब याद दिलाता तुम होते परेशां तुम्हें वो जी भर कर रुलाता प्यार हो अगर तुम तो साथी है वो मेरा साथ छोड़ दिया तुमने पर हमराज है वो मेरा बुरे वक्त में भी साथ नहीं छोड़ा उसने अंधेरों से लिपट कर रोती थी तो चाँदनी भेज दी उसने उम्र भर वो मेरा साथ निभायेगा मरने के बाद मिट्टी को मेरी चाँदनी से नहलायेगा जमीन से आसमान का फासला बहुत है मगर दोस्ती उसने निभाई यही मेरे लिये बहुत है। ©Richa Dhar"

 ये चाँद न जाने किन किन बातों का गवाह है 
चलो अच्छा ही है कि वो खामोश है 
वरना तुम रोते जब वो तुम्हें सब याद दिलाता 
तुम होते परेशां तुम्हें वो जी भर कर रुलाता 
प्यार हो अगर तुम तो साथी है वो मेरा 
साथ छोड़ दिया तुमने पर हमराज है वो 
मेरा बुरे वक्त में भी साथ नहीं छोड़ा उसने 
अंधेरों से लिपट कर रोती थी तो चाँदनी भेज दी उसने 
उम्र भर वो मेरा साथ निभायेगा 
मरने के बाद मिट्टी को मेरी चाँदनी से नहलायेगा 
जमीन से आसमान का फासला बहुत है 
मगर दोस्ती उसने निभाई यही मेरे लिये बहुत है।

©Richa Dhar

ये चाँद न जाने किन किन बातों का गवाह है चलो अच्छा ही है कि वो खामोश है वरना तुम रोते जब वो तुम्हें सब याद दिलाता तुम होते परेशां तुम्हें वो जी भर कर रुलाता प्यार हो अगर तुम तो साथी है वो मेरा साथ छोड़ दिया तुमने पर हमराज है वो मेरा बुरे वक्त में भी साथ नहीं छोड़ा उसने अंधेरों से लिपट कर रोती थी तो चाँदनी भेज दी उसने उम्र भर वो मेरा साथ निभायेगा मरने के बाद मिट्टी को मेरी चाँदनी से नहलायेगा जमीन से आसमान का फासला बहुत है मगर दोस्ती उसने निभाई यही मेरे लिये बहुत है। ©Richa Dhar

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