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गुरु हैं सागर ज्ञान के,गहरे पानी पैठ।
ज्ञान सीप ढूंढे कहां,दूर किनारे बैठ।।
दूर किनारे बैठ, सीप का ढूंढे मोती।
लगी ज्ञान की प्यास,पास विधि गुरु के होती।
परंपरा यह खास, गुरू शुभ आश्रम आगर।
प्यास बुझा गुरु पास, वहां गागर में सागर।
वीणा खंडेलवाल
तुमसर महाराष्ट्र
©veena khandelwal
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