White लगभग सत्य होता है हर एक सत्य
इसमें परिस्थिति, नियति,
प्रारब्ध और काल का दोष है
कुछ अपवाद भी हैं सत्य और असत्य के
यहाँ विलीन है सब कुछ माया में
देह पृथ्वी ब्रह्माण्ड सब तो क्षण भंगुर है
सत्य तो मात्र प्रतिशत में है
ज्ञान के लिए कहाँ तू इधर उधर भटकता
आत्मा परमात्मा ही आत्मसात करने योग्य है
चरण रज बन जा राधा कृष्ण की
क्योंकि केवल ईश्वर ही शाश्वत है
©Parul Sharma
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