मांओं (नारी)का कोई जीवन नही, कोई सपने नहीं, केवल घर के आदमी वर्ग को आगे बढ़ाओ फिर अपने आप को कमज़ोर मानो।
खाना लगा, नहाने का पानी रख, कपड़े दे, हर छोटी चीज हर छोटे काम के लिए इस तरह मां पर हुक्म चलाते है जैसे उसका जीवन केवल हमारे काम करने के लिए ही मिला है। ऐसे बच्चों को माएं बददुआ नहीं देती उनके अंदर बसा इंसान देता है कि ये तो इतनी समझ नही रखती लेकिन तुम पढे लिखे जानकर होकर उसका जीवन संवार नहीं सकते तो उसे जैसा उसका जीवन है वो तो जीने दो।
मां बच्चों को उनके काम खुद करने दो ये भी संस्कार है।🙏