White सपनों का शहर
राजू एक छोटे से गाँव में रहता था। उसका सपना था कि वह बड़े शहर में जाकर बहुत बड़ा आदमी बने। रोज़ वह अपने छोटे से खेत में काम करता, लेकिन उसके मन में बस एक ही ख्याल था – शहर का जीवन, जहां पैसे की कोई कमी नहीं होती, और लोग बड़े-बड़े कारों में घूमते हैं।
एक दिन उसने तय किया कि अब वह गाँव छोड़ देगा और शहर में जाएगा। उसने अपने सारे पैसे इकट्ठा किए और एक ट्रेनों में बैठकर शहर की ओर रवाना हो गया। रास्ते भर वह सपने देखता रहा कि वह कैसे शहर में नाम कमाएगा और एक दिन सब उसे जानेगा।
शहर पहुँचते ही उसे एक चमकदार और भीड़-भाड़ वाली दुनिया दिखाई दी। बड़े-बड़े इमारतें, चमचमाती कारें, और लोग जिन्हें देखना ही एक जादू जैसा लगता था। लेकिन बहुत जल्दी उसे अहसास हुआ कि शहर का जीवन उतना सरल नहीं था जितना वह सोचता था।
राजू को शुरुआत में कोई काम नहीं मिला, और उसे रैन बसेरा में रात बितानी पड़ी। वह दिन-रात नौकरी की तलाश में भटकता रहा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। धीरे-धीरे उसे समझ में आया कि केवल बड़े शहर का सपना देखना ही काफी नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत और धैर्य की भी जरूरत होती है।
कुछ महीने बाद, राजू को एक छोटे से होटल में काम मिल गया। वह खुश था कि अब उसे किसी न किसी तरह का काम मिल गया है। समय के साथ, राजू ने अपने काम में महारत हासिल की और धीरे-धीरे होटल का सबसे अच्छा कर्मचारी बन गया।
कुछ सालों बाद, वह उसी होटल का मालिक बन गया। राजू अब समझ चुका था कि सफलता का रास्ता सरल नहीं होता, लेकिन सही मेहनत और ईमानदारी से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
राजू ने गाँव लौटकर अपने छोटे से खेत पर एक अच्छा सा घर बनवाया और वह जानता था कि असली खुशियाँ छोटे-छोटे सुखों में ही होती हैं।
अंत
©Pooja
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