तेरी यादों की खु़शबू खिड़कियों में रक़्स करती हैं
तेरे ग़म में सुलगता हूं तो आँखें भीग जाती हैं
तुम्हारा नाम लेने की इजाज़त छिन गई जब से
कोई भी लफ्ज़ लिखता हूं तो आँखें भीग जाती हैं
न जाने होगया हूं इस क़दर हस्सास मैं कब से
किसी से बात करता हूं तो आँखें भीग जाती हैं
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