पा भर लेने से अधिकार नही होता। दिल के व्यभिचारी से | हिंदी Poetry

"पा भर लेने से अधिकार नही होता। दिल के व्यभिचारी से प्यार नही होता। ज़मीर बेचकर कमा लिए लाखों-करोड़ों, ईमान का उस पर ऐतबार नही होता।। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey"

 पा भर लेने से अधिकार नही होता।
दिल के व्यभिचारी से प्यार नही होता।
ज़मीर बेचकर कमा लिए लाखों-करोड़ों,
ईमान का उस पर ऐतबार नही होता।।
                 मुकेश गोगड़े

©kavi mukesh gogdey

पा भर लेने से अधिकार नही होता। दिल के व्यभिचारी से प्यार नही होता। ज़मीर बेचकर कमा लिए लाखों-करोड़ों, ईमान का उस पर ऐतबार नही होता।। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey

#Dil
#Yetbaar
#kavi
#Nojotoshayeri✍️M

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