#OpenPoetry [मौत का डर नहीं] मौत का डर नहीं मुझे,

"#OpenPoetry [मौत का डर नहीं] मौत का डर नहीं मुझे, डर बस अपनो की बातों से लगता है। मुझे गिराने की शाजिश रचते है, डर बस उनकी हरकतों से लगता है। उङने का शौंक भी है मुझे, डर बस अपने दिखावटी परींदों से लगता है। अज़माते है मुझे,कहीं मोङ ना ले मुह, डर बस इसी बात का लगता है। -उपेंद्र कुमार..."

 #OpenPoetry [मौत का डर नहीं]

मौत का डर नहीं मुझे,
डर बस अपनो की बातों से लगता है।

मुझे गिराने की शाजिश रचते है,
डर बस उनकी हरकतों से लगता है।

उङने का शौंक भी है मुझे,
डर बस अपने दिखावटी परींदों से लगता है।

अज़माते है मुझे,कहीं मोङ ना ले मुह,
डर बस इसी बात का लगता है।

                            -उपेंद्र कुमार...

#OpenPoetry [मौत का डर नहीं] मौत का डर नहीं मुझे, डर बस अपनो की बातों से लगता है। मुझे गिराने की शाजिश रचते है, डर बस उनकी हरकतों से लगता है। उङने का शौंक भी है मुझे, डर बस अपने दिखावटी परींदों से लगता है। अज़माते है मुझे,कहीं मोङ ना ले मुह, डर बस इसी बात का लगता है। -उपेंद्र कुमार...

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