White तिरस्कृत जीवन✍🏻✍🏻✍🏻
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तिरस्कार मिला इतना के प्रेम पर भी संदेह होने लगा
अपनापन देख के आडंबर सा लगने लगा
बोल दे कोई प्रेम से तो उसमें स्वार्थ दिखने लगा
और न बोले कोई तो वही सही लगने लगा
लज्जित हो जाती हूँ मैं किसी के प्रेम भरे बोल से
सुख के भेष में दुःख मुखौटा लगाए लगने लगा
अभिलाषा समाप्त हो गयी जीवन भी अभिशप्त लगने लगा
जीवन से मरण तक का खेल अब ये हृदय समझने लगा
©Richa Dhar
#sad_shayari तिरस्कृत जीवन