कोई किसी का,किस पल हो, ऐसी ही वो सोच बनाता है, फिर | हिंदी कविता

"कोई किसी का,किस पल हो, ऐसी ही वो सोच बनाता है, फिर किसी दिल की खोज के कारण, आपस में कहीं मिलवाता है, फिर बनते हैं बंधन कहीं, ज्यों गूंथी रहती हैं कई पंखुड़ियांआपस में , एक पुष्प बनाने को, धरा को न जाने कितने पुष्पों से सजाने को...!!! ©Vivek"

 कोई किसी का,किस पल हो, ऐसी ही वो सोच बनाता है, फिर किसी दिल की खोज के कारण, आपस में कहीं मिलवाता है, फिर बनते हैं बंधन कहीं, ज्यों गूंथी रहती हैं कई पंखुड़ियांआपस में , एक पुष्प बनाने को, धरा को न जाने कितने पुष्पों से सजाने को...!!!

©Vivek

कोई किसी का,किस पल हो, ऐसी ही वो सोच बनाता है, फिर किसी दिल की खोज के कारण, आपस में कहीं मिलवाता है, फिर बनते हैं बंधन कहीं, ज्यों गूंथी रहती हैं कई पंखुड़ियांआपस में , एक पुष्प बनाने को, धरा को न जाने कितने पुष्पों से सजाने को...!!! ©Vivek

#प्रेम

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