Girl quotes in Hindi आज भी हर दिन कहीं सीता उठाई ज | हिंदी कविता

"Girl quotes in Hindi आज भी हर दिन कहीं सीता उठाई जाती है अग्नि परीक्षा की आग में हर बार जलाई जाती है संकोच आज भी राम का कम न हो रहा समाज के बातों में अपनी सीता खो रहा आज भी जाने कितने कलंक लिये ढो रही वो जाने किस कुटिया में छुपकर बैठी रो रही वो सवाल आज भी लोगों के कम न हो रहे लव-कुश अपनी माँ की विवश्ता पे रो रहे अछुत रहे रावण को हर वर्ष जलाया जाता हे सत्य पे असत्य के जीत का विश्वास दिलाया जाता है पर उसी पुतले के नीचे कई सीता जलते देखा है लोगों के जिव्हा के द्वारा रावण को निकलते देखा है फिर ठोकर खा घर से सीता वन को अकेले जाती है नयन के अश्रु, हृदय की पीड़ा जाने कैसे छुपाती है नियति वही कहानी हर रोज घर-घर दोहराती है थक हार अंत में उसे फिर माँ की गोद बुलाती है। -अजय "

 Girl quotes in Hindi आज भी हर दिन कहीं सीता उठाई जाती है
अग्नि परीक्षा की आग में हर बार जलाई जाती है
संकोच आज भी राम का  कम न हो रहा
समाज के बातों में अपनी सीता खो रहा
आज भी जाने कितने कलंक लिये ढो रही वो
जाने किस कुटिया में छुपकर बैठी रो रही वो
सवाल आज भी लोगों के कम न हो रहे
लव-कुश अपनी माँ की विवश्ता पे रो रहे
अछुत रहे रावण को हर वर्ष जलाया जाता हे
सत्य पे असत्य के जीत का विश्वास दिलाया जाता है
पर उसी पुतले के नीचे कई सीता जलते देखा है
लोगों के जिव्हा के द्वारा रावण को निकलते देखा है
फिर ठोकर खा घर से सीता वन को अकेले जाती है
नयन के अश्रु, हृदय की पीड़ा जाने कैसे छुपाती है 
नियति वही कहानी हर रोज घर-घर दोहराती है
थक हार अंत में उसे फिर माँ की गोद बुलाती है।
                          -अजय

Girl quotes in Hindi आज भी हर दिन कहीं सीता उठाई जाती है अग्नि परीक्षा की आग में हर बार जलाई जाती है संकोच आज भी राम का कम न हो रहा समाज के बातों में अपनी सीता खो रहा आज भी जाने कितने कलंक लिये ढो रही वो जाने किस कुटिया में छुपकर बैठी रो रही वो सवाल आज भी लोगों के कम न हो रहे लव-कुश अपनी माँ की विवश्ता पे रो रहे अछुत रहे रावण को हर वर्ष जलाया जाता हे सत्य पे असत्य के जीत का विश्वास दिलाया जाता है पर उसी पुतले के नीचे कई सीता जलते देखा है लोगों के जिव्हा के द्वारा रावण को निकलते देखा है फिर ठोकर खा घर से सीता वन को अकेले जाती है नयन के अश्रु, हृदय की पीड़ा जाने कैसे छुपाती है नियति वही कहानी हर रोज घर-घर दोहराती है थक हार अंत में उसे फिर माँ की गोद बुलाती है। -अजय

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