नदी से कई घड़े पानी निकाले वो तालाब भरने में लगा थ | हिंदी विचार Video

"नदी से कई घड़े पानी निकाले वो तालाब भरने में लगा था सुबह से शाम हो गई थी रोशनी धुंधली हो रही थी उसके हाथों के छाले लावा से लगते कांपते पैर चलने की कवायद करते बरामदे में बैठा था मालिक ये सब देखता और चाय की चुस्कियां लेता शिकायत माथे पर चिपकी और संतोष न था कि सूरज आज फिर जल्दी ढला था । ©gaurav "

नदी से कई घड़े पानी निकाले वो तालाब भरने में लगा था सुबह से शाम हो गई थी रोशनी धुंधली हो रही थी उसके हाथों के छाले लावा से लगते कांपते पैर चलने की कवायद करते बरामदे में बैठा था मालिक ये सब देखता और चाय की चुस्कियां लेता शिकायत माथे पर चिपकी और संतोष न था कि सूरज आज फिर जल्दी ढला था । ©gaurav

#Sukha

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