सदियों से शांत पड़े इस दरिया में आज फिर से सैलाव आय
"सदियों से शांत पड़े इस दरिया में आज फिर से सैलाव आया है
लगता है आज फिर से दिल दुखाने मेरा पुराना यार आया है
और क्यूँ तकलीफ करते हो बार-बार यू वापिस लौट आने की
उन सारे अहसासों को तो ये कमबख्त दिल पहले ही निकाल आया था
- ठा. सरश………✍️"
सदियों से शांत पड़े इस दरिया में आज फिर से सैलाव आया है
लगता है आज फिर से दिल दुखाने मेरा पुराना यार आया है
और क्यूँ तकलीफ करते हो बार-बार यू वापिस लौट आने की
उन सारे अहसासों को तो ये कमबख्त दिल पहले ही निकाल आया था
- ठा. सरश………✍️