जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। अजनबी है | हिंदी कविता

"जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। अजनबी है अवारा शहर में, पहचान अपनी न छुपा सके। आंसू पोंछते रहे अकेले, किसी को दिखा न सके। पूछा सबने उदास चेहरा देखकर, हम कारण उदासी का बता न सके। कहानी बहुत छोटी सी थी हमारी, फिर भी किसे सुना न सके। दुनियां ने बहुत कुछ सीखा दिया, हम खुद को समझा न सके। साथ चाहा हर किसी ने हमारा, पर हम किसी ओर को अपना न सके। समझ लिया सबने अपने अपने नज़रिए से , हम झूठ पर भी ऊंगली उठा न सके। स्तब्ध होकर भूल गए दुनियां को, पर उन यादों को न भूला सके। जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। ©आधुनिक कवयित्री"

 जुदा हुए इस कदर,
दुबारा नजरे न मिला सके।
अजनबी है अवारा शहर में,
पहचान अपनी न छुपा सके।
आंसू पोंछते रहे अकेले,
किसी को दिखा न सके।
पूछा सबने उदास चेहरा देखकर,
हम कारण उदासी का बता न सके।
कहानी बहुत छोटी सी थी हमारी,
फिर भी किसे सुना न सके।
दुनियां ने बहुत कुछ सीखा दिया,
हम खुद को समझा न सके।
साथ चाहा हर किसी ने हमारा,
पर हम किसी ओर को अपना न सके।
समझ लिया सबने अपने अपने नज़रिए से ,
हम झूठ पर भी ऊंगली उठा न सके।
स्तब्ध होकर भूल गए दुनियां को,
पर उन यादों को न भूला सके।
जुदा हुए इस कदर,
दुबारा नजरे न मिला सके।

©आधुनिक कवयित्री

जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। अजनबी है अवारा शहर में, पहचान अपनी न छुपा सके। आंसू पोंछते रहे अकेले, किसी को दिखा न सके। पूछा सबने उदास चेहरा देखकर, हम कारण उदासी का बता न सके। कहानी बहुत छोटी सी थी हमारी, फिर भी किसे सुना न सके। दुनियां ने बहुत कुछ सीखा दिया, हम खुद को समझा न सके। साथ चाहा हर किसी ने हमारा, पर हम किसी ओर को अपना न सके। समझ लिया सबने अपने अपने नज़रिए से , हम झूठ पर भी ऊंगली उठा न सके। स्तब्ध होकर भूल गए दुनियां को, पर उन यादों को न भूला सके। जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। ©आधुनिक कवयित्री

जुदा.......

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