और तब रात की रजाई ओढ़कर आसमान के नीचे छतपर सपनों | हिंदी Poetry Video

"और तब रात की रजाई ओढ़कर आसमान के नीचे छतपर सपनों को सिरहाने लगाकर निष्प्राण हो जाते है लोग रात भर चाँद को जगाकर खुद सो जाते हैं लोग ©Kavi Kumar Ashok "

और तब रात की रजाई ओढ़कर आसमान के नीचे छतपर सपनों को सिरहाने लगाकर निष्प्राण हो जाते है लोग रात भर चाँद को जगाकर खुद सो जाते हैं लोग ©Kavi Kumar Ashok

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