"एक तरफ़ उसके जाने का गम
ज़िंदगी ना जानें क्यों
इतने सितम ढा रही है।।
चाहता हूं कि मौत आ जाए
वो तो आती नहीं बस
उसकी याद आ रही है।।
देखता हूं मैं जब भी
सूने पड़े अपने मकान को
ना जाने क्यों लगता है ये
कि बाहें फैलाए वो
मुझे बुला रही है।।
©अभिलाष द्विवेदी (अकेला)
"