झूठों को नहीं सच्चे को भी कुछ और दिखाई देता है , अ | हिंदी Poetry

"झूठों को नहीं सच्चे को भी कुछ और दिखाई देता है , अरे बातें वही रहती हैं बदला दौर दिखाई देता है। समुद्र की लहरों को जब से गिनना सीख लिया है हमने , तब से मुझको अपना जागा हुआ शौर्य दिखाई देता है। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi"

 झूठों को नहीं सच्चे को भी कुछ और दिखाई देता है ,
अरे बातें वही रहती हैं बदला दौर दिखाई देता है।
समुद्र की लहरों को जब से गिनना सीख लिया है हमने ,
तब से मुझको अपना जागा हुआ शौर्य दिखाई देता है।

                                              - आचमन चित्रांशी

©Achman Chitranshi

झूठों को नहीं सच्चे को भी कुछ और दिखाई देता है , अरे बातें वही रहती हैं बदला दौर दिखाई देता है। समुद्र की लहरों को जब से गिनना सीख लिया है हमने , तब से मुझको अपना जागा हुआ शौर्य दिखाई देता है। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi

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