निगाहें और नशा
आज फिर निगाहें दो चार हो गई,
एक बार फिर उनसे बीच राह मुलाकात हो गई,
चेहरे की शोखियां ,ना जाने उनकी कहां खो गई,
कुछ गुमशुम से थे होंठ , निगाहें सब बयां कर गई ।
उनके दिल के एहसास अब भी जिंदा थे,
झुकी पलकों के वो राज अब भी जिंदा थे,
होंठो में दबे,वो लफ्ज़ अब भी जिंदा थे,
मन को झकझोरने वाले एहसास अब भी जिंदा थे ।
©Dayal "दीप, Goswami..
#Nigaahein