White सूख गए हों सबके प्राण झुक गया हो आसमान 6 दि | हिंदी Poetry

"White सूख गए हों सबके प्राण झुक गया हो आसमान 6 दिसंबर 1956 को जब हुआ बाबा साहब का महापरिनिर्वाण। छोड़ गए हम सबका साथ रहा नहीं है सर पर हाथ उनके बिन अब कौन करेगा वंचित पिछड़ों के हकों की बात। खुद मर‌ कर किया बुद्ध को जिंदा हैं उनके जैसे शख्स चुनिंदा आज तलक है मिशन अधुरा बाबा साहब हम हैं शर्मिंदा। किया शूद्रों का कल्याण महिलाओं को दिया सम्मान भारत का लिखा संविधान उनके जैसा नहीं कोई महान। सिंबल आफ नॉलेज है वो शिक्षा का कॉलेज है वो महिलाओं वंचित पिछड़ों के अधिकारों का सोर्सेज है वो। ©Vijay Vidrohi"

 White सूख गए हों सबके प्राण 
झुक गया हो आसमान
6 दिसंबर 1956 को जब हुआ
बाबा साहब का महापरिनिर्वाण।

छोड़ गए हम सबका साथ 
रहा नहीं है सर पर हाथ 
उनके बिन अब कौन करेगा 
वंचित पिछड़ों के हकों की बात।

खुद मर‌ कर किया बुद्ध को जिंदा
हैं उनके जैसे शख्स चुनिंदा 
आज तलक है मिशन अधुरा
बाबा साहब हम हैं शर्मिंदा।

किया शूद्रों का कल्याण 
महिलाओं को दिया सम्मान 
भारत का लिखा संविधान 
उनके जैसा नहीं कोई महान।

सिंबल आफ नॉलेज है वो 
शिक्षा का कॉलेज है वो
महिलाओं वंचित पिछड़ों के
अधिकारों का सोर्सेज है वो।

©Vijay Vidrohi

White सूख गए हों सबके प्राण झुक गया हो आसमान 6 दिसंबर 1956 को जब हुआ बाबा साहब का महापरिनिर्वाण। छोड़ गए हम सबका साथ रहा नहीं है सर पर हाथ उनके बिन अब कौन करेगा वंचित पिछड़ों के हकों की बात। खुद मर‌ कर किया बुद्ध को जिंदा हैं उनके जैसे शख्स चुनिंदा आज तलक है मिशन अधुरा बाबा साहब हम हैं शर्मिंदा। किया शूद्रों का कल्याण महिलाओं को दिया सम्मान भारत का लिखा संविधान उनके जैसा नहीं कोई महान। सिंबल आफ नॉलेज है वो शिक्षा का कॉलेज है वो महिलाओं वंचित पिछड़ों के अधिकारों का सोर्सेज है वो। ©Vijay Vidrohi

बाबा साहब महापरिनिर्वाण दिवस
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