पाँव काँटों पर चले अंगार सीने में जले हैं। यथार् | हिंदी कविता

"पाँव काँटों पर चले अंगार सीने में जले हैं। यथार्थ के रण क्षेत्र में स्वप्न आँखों में पले हैं। कंटकों के जाल से भी फूल कुछ अनगिन चुनें हैं। बिजलियों की रार में भी दीप आशा के जले हैं। श्रीहरि कृपा मोनिका शर् ©Monika Sharma"

 पाँव काँटों पर चले 
अंगार सीने में जले हैं।

यथार्थ के रण क्षेत्र में
स्वप्न आँखों में पले हैं।

कंटकों के जाल से भी
फूल कुछ अनगिन चुनें हैं।

बिजलियों की रार में भी
दीप आशा के जले हैं।

श्रीहरि कृपा
मोनिका शर्

©Monika  Sharma

पाँव काँटों पर चले अंगार सीने में जले हैं। यथार्थ के रण क्षेत्र में स्वप्न आँखों में पले हैं। कंटकों के जाल से भी फूल कुछ अनगिन चुनें हैं। बिजलियों की रार में भी दीप आशा के जले हैं। श्रीहरि कृपा मोनिका शर् ©Monika Sharma

#Parchhai यथार्थ

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