a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कुछ सफ़र जिन | हिंदी Poetry

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कुछ सफ़र जिन्दगी के तय कर लिये कुछ सफर जींदगी के तय करना अभी बाकी है हालातो से झुझ्ते रहे हालातो से जूझना अभी बाकी है। कोन साथ कोन खिलाफ था ये वक्त तय करेगा । सफर है जींदगी के तय तो करने पडेगे। सफर जींदगी का सुहाना बन सकता था गर जींदगी खेल ना होती तो जींदगी शायाद जींदगी होती। माना मुक्मल हो गई जींदगी तेरे बिन तेरे संग मुक्मल होती तो जींदगी होती। ©POONAM SHARMA"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कुछ सफ़र जिन्दगी के तय कर लिये कुछ सफर जींदगी के तय करना अभी बाकी है  
हालातो से झुझ्ते रहे हालातो से जूझना अभी बाकी है।
कोन साथ कोन खिलाफ था ये वक्त तय करेगा ।
सफर है जींदगी के तय तो करने पडेगे।
सफर जींदगी का सुहाना बन सकता था 
गर जींदगी खेल ना होती तो जींदगी शायाद जींदगी होती।
माना मुक्मल हो गई जींदगी तेरे बिन तेरे संग मुक्मल होती तो जींदगी होती।

©POONAM SHARMA

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कुछ सफ़र जिन्दगी के तय कर लिये कुछ सफर जींदगी के तय करना अभी बाकी है हालातो से झुझ्ते रहे हालातो से जूझना अभी बाकी है। कोन साथ कोन खिलाफ था ये वक्त तय करेगा । सफर है जींदगी के तय तो करने पडेगे। सफर जींदगी का सुहाना बन सकता था गर जींदगी खेल ना होती तो जींदगी शायाद जींदगी होती। माना मुक्मल हो गई जींदगी तेरे बिन तेरे संग मुक्मल होती तो जींदगी होती। ©POONAM SHARMA

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