कोई काबिल या नाकाबिल आदमी दबकर नही रहना चाहता,हर काबिल मां नारी को दबकर मजबूरी का जीवन जीने को मजबूर करते हमारे घर।
केवल electronic device चलाने को आधुनिक युग या मॉर्डन जमाना नही कहा जाएगा। जब तक घर की नारी का जीवन आसान जीने लायक नही लगेगा तब तक कुछ सही नही होगा रिश्तों में।
अगर जमाना बदला है तो हमें अपने घरों के वातावरण में भी बदलाव लाना होगा, हमारे अपने हमसे अपने मन की बात कह सके हम खुद उनसे कह सके फिर क्यों कोई तनाव में रहेगा।
बाहर लोगो के सामने नहीं अपने घर की नारी के सामने सभ्य बनो उन्हें