जिंदगी प्यासी हुई और पानी बिन है सुन,   उसपे किस्म | हिंदी S

"जिंदगी प्यासी हुई और पानी बिन है सुन,   उसपे किस्मत दे रही बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद... ख्वाब है सजे हुए, कागज़ पर बने हुए,   रंग हुआ खार है, पतझड़ ही अब बहार है।   इन्हीं मोतियों में से कुछ अपने लिए चुन,   किस्मत जो अब दे रही बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद। नाव है पतवार है और माझी भी इस पार है,   मगर खेवनहार आज दिख रहा लाचार है।   कहां से निकले कहां को जाए पूछ रही चप्पू की धुन,   किस्मत ने जो दे रखा है बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद.... - वीरा अनजान(तुम्हारा शायर) , ©Bir Bahadur Singh"

 जिंदगी प्यासी हुई और पानी बिन है सुन,  
उसपे किस्मत दे रही बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद...

ख्वाब है सजे हुए, कागज़ पर बने हुए,  
रंग हुआ खार है, पतझड़ ही अब बहार है।  
इन्हीं मोतियों में से कुछ अपने लिए चुन,  
किस्मत जो अब दे रही बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद।

नाव है पतवार है और माझी भी इस पार है,  
मगर खेवनहार आज दिख रहा लाचार है।  
कहां से निकले कहां को जाए पूछ रही चप्पू की धुन,  
किस्मत ने जो दे रखा है बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद....

- वीरा अनजान(तुम्हारा शायर)












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©Bir Bahadur Singh

जिंदगी प्यासी हुई और पानी बिन है सुन,   उसपे किस्मत दे रही बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद... ख्वाब है सजे हुए, कागज़ पर बने हुए,   रंग हुआ खार है, पतझड़ ही अब बहार है।   इन्हीं मोतियों में से कुछ अपने लिए चुन,   किस्मत जो अब दे रही बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद। नाव है पतवार है और माझी भी इस पार है,   मगर खेवनहार आज दिख रहा लाचार है।   कहां से निकले कहां को जाए पूछ रही चप्पू की धुन,   किस्मत ने जो दे रखा है बस ओस की बूंद, बस ओस की बूंद.... - वीरा अनजान(तुम्हारा शायर) , ©Bir Bahadur Singh

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