अधरों पे धरा सी सोंधी-सोंधी,
खुशबु का मैं रसपान करूँ,
इस सुन्दर तन की काया का,
मैं कैसे गुणगान करूँ,
तुम ही बता दो प्रिये,
कैसे पाया इस सुन्दर मन को,
किसका मैं आभार करूँ,
लू जन्म बार-बार पर,
हर बार तेरा ही दीदार करूँ,
कुछ ऐसा कर उपकार प्रिये,
पाकर तुझको मैं सुखी संसार करूँ,
अधरों पे धरा सी सोंधी-सोंधी,
खुशबु का मैं रसपान करूँ.....
#romance
#My_inspirational_voice
#अधरों पे धरा सी सोंधी-सोंधी,
खुशबु का मैं रसपान करूँ,
इस सुन्दर तन की काया का,
मैं कैसे गुणगान करूँ,
तुम ही बता दो प्रिये,
कैसे पाया इस सुन्दर मन को,