पहले तनहा थे.. अब तनहा रहना पसंत हैं। करते थे शिका
"पहले तनहा थे..
अब तनहा रहना पसंत हैं।
करते थे शिकायते हर किसी से,
अब गम सहना पसंद हैं..!
जिम्मेदारीके बोझ तले दब से गए हैं..
अब क्या खुसी.. क्या गम..?
बस अपनों की खुसी मे खुश हैं हम..!
सचin..."
पहले तनहा थे..
अब तनहा रहना पसंत हैं।
करते थे शिकायते हर किसी से,
अब गम सहना पसंद हैं..!
जिम्मेदारीके बोझ तले दब से गए हैं..
अब क्या खुसी.. क्या गम..?
बस अपनों की खुसी मे खुश हैं हम..!
सचin...