शहीद भगत सिंह
पल्लव की डायरी
जुल्म अत्याचारऔर कानून
भर भर के लूट रहे घर घर के आंगन
बलवा दंगे फूट डालकर,
भूख की बिछी विसात है
रंग बदले है गोरे से काले,
वही पैतरे सियासी रखते है
तुम्हारे बलिदानों की कैटेगरी
आतंकी में रखते है
समाजवाद और लोकतंत्र की
बर्बादी की पटकथा रोज लिखते है
संसद ,संविधान हो न्यायालय
पहुँच आम जनता की दूर रखते है
युवा की ताकत को,दाँव पैच में फंसाकर
राजनीत से कोसो दूर रखते है
इंकलाब की आवाजों से
शायद सारे सियासी डरते है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#Deshbhakti
इंकलाब की आवाजों से,शायद सारे सियासी डरते है
#Deshbhakti