तो तुम अपने किरदार का मुआयना करने आए हो जिके देखा है कभी बड़े मरने आए हो मम्मी से पूछा क्या कमी है तुम मैं या पापा से मुशवहरा लिया जिनके हां के बगैर
लिबास तक नहीं खरीदते हो तुम क्या मजबूरी है जो सांस बेचने आए हो तुम
घर शहर में नहीं है और शहर में घर नहीं लगता अब
तुम बड़े आदमी हो शायद कुछ ही वक्त ठहरने आए हो जीके देखा है कभी बड़े मरने आए हो
©Amit Singh Chauhan
#Twowords