आंखों से दिल तक का सफर,हुआ तो है दिल में अब किताबो
"आंखों से दिल तक का सफर,हुआ तो है
दिल में अब किताबों का घर, हुआ तो है।
हिज्र,आशिक़ी,शराब मैं सब जानता हूँ
उसे इश्क़ करने का असर, हुआ तो है।
जिसके शाख से उड़ गए होंगे परिंदे भी
जंगल में ऐसा भी शजर, हुआ तो है।
✍️@poetramashankar"
आंखों से दिल तक का सफर,हुआ तो है
दिल में अब किताबों का घर, हुआ तो है।
हिज्र,आशिक़ी,शराब मैं सब जानता हूँ
उसे इश्क़ करने का असर, हुआ तो है।
जिसके शाख से उड़ गए होंगे परिंदे भी
जंगल में ऐसा भी शजर, हुआ तो है।
✍️@poetramashankar