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मेरे नज़्मों की वो प्रेयसी बन गई
फिर वो गीत-ओ-ग़ज़ल शाइरी बन गई
इस कदर ख़ुश हूं होता बयां अब नहीं
तेरी मुस्कान, मेरी ख़ुशी बन गई
तंज सुनते रहे फिर भी छोड़े नहीं
मेरी पहचान ही सादगी बन गई
कुछ न कहना मेरा क्या ग़ज़ब ढा गया
मेरी नीयत ही अब ख़ामुशी बन गई
उससे रौशन था मेरा जहां ए ख़ुदा
वो गई, ज़िंदगी तीरगी बन गई
©Madhusudan Shrivastava
#GoodNight