किसी ने कहा,
तुम्हारी शायरी बहुत कमाल है,
हमने जवाब दिया,
अजी जनाब...
जिस के लिए लिखता हूं,
वो शख़्स बेमिसाल है।
वैसे...
ज़ायका कुछ अलग ही है,
मेरे लिखे अल्फ़ाज़ों का,
किसी को आस्वाद नहीं आता,
कोई चाह कर भी भुला नहीं पाता।
डॉ दीपक कुमार 'दीप'
©Dr Deepak Kumar Deep
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