कलाबाजियों का कुछ तो हुजूम रहने दो , वार्तालाप हमा | हिंदी Poetry

"कलाबाजियों का कुछ तो हुजूम रहने दो , वार्तालाप हमारी अब मखदूम रहने दो। साझेदारी का दौर चल रहा है आजकल , अंश पत्रों की पूंजी को मशहूर रहने दो। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi"

 कलाबाजियों का कुछ तो हुजूम रहने दो ,
वार्तालाप हमारी अब मखदूम रहने दो।
साझेदारी का दौर चल रहा है आजकल ,
अंश पत्रों की पूंजी को मशहूर रहने दो।

                                        - आचमन चित्रांशी

©Achman Chitranshi

कलाबाजियों का कुछ तो हुजूम रहने दो , वार्तालाप हमारी अब मखदूम रहने दो। साझेदारी का दौर चल रहा है आजकल , अंश पत्रों की पूंजी को मशहूर रहने दो। - आचमन चित्रांशी ©Achman Chitranshi

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