मैने सोचा आज कुछ खास लिखूं
दिल में पनपे सब एहसास लिखूं
है जो अनगिनत आस लिए
गहरी गहरी बातों का अब न
सत्यानाश लिखूं
अबला की आवाज लिखूं
कल नहीं मैं आज लिखूं
जल रहे जो दीप प्यारे
चमक रहे नभ के सितारे
घूंघट के घुंघरू बज रहें हैं,
सबको देखो सज रहे हैं,
उन सबके सरताज लिखूं
कल नहीं मैं आज लिखूं
सदियों के सारे राज लिखूं
एक दूजे के काज लिखूं
सारे अल्फाजों के लाज लिखूं
कल नहीं मैं आज लिखूं।
©Shilpa yadav
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