मेरे जज्बात मेरा भ्रम जरा तरीके से तोड़ना...।
सुनो मुझको छोड़ो तो जरा सलीके से छोड़ना...।
मैंनें सारे हसीं लम्हें पिरो रखे है ज़िन्दगी की मटकी में..।
मन हो गर खेलने का तो उनको वार मीठे से फोड़ना...।
ये हर रोज नया लहजा ये हर बात पर ताव जरूरी तो नही...।
तुम वहीं रहो ना ये हर रोज नया बदलाव जरूरी तो नही...।
मैंनें खर्च कर दी अपनी ज़िन्दगी की सारी कमाई तुझ पर..।
अब कुछ नही मेरे पास तो ये बर्ताव जरूरी तो नही...।
तेरी बातें चुभती है रोने का सुबह तक आँखों पर असर रहता है...।
नींद को तरसती है आँखें हर वक़्त तुझे खोने का डर रहता है..।
दुनिया ऐसे ही बताती है चाँद को धरती से दूर...।
मैं हर कहता हूँ एक चाँद तो मेरे ही शहर रहता है...।
ख्वाहिश है में टूट जाऊँ आगर मैं तो तिनके तिनके से जोड़ना..।
सुनो मुझको छोड़ो तो जरा सलीके से छोड़ना...।
©पवन कश्यप
#alone