jवो कब से कर रहे थे नारा बुलंद कि मेरा देश बदल रहा

"jवो कब से कर रहे थे नारा बुलंद कि मेरा देश बदल रहा है संभल ए मेरे अहलेवतन अब तो वतन जल रहा है दरख्त पूजने वाले मुल्क की हालत क्या कर दी गई है कि आज हवा की किल्लत से उनका दम निकल रहा है खता ये भी कि खेती करने वाले को भी नहीं बख्शा गया सड़क पे आज भी उनका इंकलाब महीनों से चल रहा है बेशर्मी की सारी हदें पार कर गए आप तो साहिब अभी भी दिल में हूकूमत का ही अरमान मचल रहा है यह ना समझिए जनाब कि कोई समझता ही नहीं है आज सबको मालूम है कौन कैसे किसे छल रहा है नजरअंदाज नहीं कर सकता ये दौरे जहां किसी तौर अब हरेक जुल्म, गुनाह के खिलाफ जज्बा लफ्जों में ढल रहा है ©भारद्वाज"

 jवो कब से कर रहे थे नारा बुलंद कि मेरा देश बदल रहा है

संभल ए मेरे अहलेवतन अब तो वतन जल रहा है


दरख्त पूजने वाले मुल्क की हालत क्या कर दी गई है

कि आज हवा की किल्लत से उनका दम निकल रहा है


खता ये भी कि खेती करने वाले को भी नहीं बख्शा गया

सड़क पे आज भी उनका इंकलाब महीनों से चल रहा है


बेशर्मी की सारी हदें पार कर गए आप तो साहिब

अभी भी दिल में हूकूमत का ही अरमान मचल रहा है


यह ना समझिए जनाब कि कोई समझता ही नहीं है

आज सबको मालूम है कौन कैसे किसे छल रहा है


नजरअंदाज नहीं कर सकता ये दौरे जहां किसी तौर अब 

हरेक जुल्म, गुनाह के खिलाफ जज्बा लफ्जों में ढल रहा है

©भारद्वाज

jवो कब से कर रहे थे नारा बुलंद कि मेरा देश बदल रहा है संभल ए मेरे अहलेवतन अब तो वतन जल रहा है दरख्त पूजने वाले मुल्क की हालत क्या कर दी गई है कि आज हवा की किल्लत से उनका दम निकल रहा है खता ये भी कि खेती करने वाले को भी नहीं बख्शा गया सड़क पे आज भी उनका इंकलाब महीनों से चल रहा है बेशर्मी की सारी हदें पार कर गए आप तो साहिब अभी भी दिल में हूकूमत का ही अरमान मचल रहा है यह ना समझिए जनाब कि कोई समझता ही नहीं है आज सबको मालूम है कौन कैसे किसे छल रहा है नजरअंदाज नहीं कर सकता ये दौरे जहां किसी तौर अब हरेक जुल्म, गुनाह के खिलाफ जज्बा लफ्जों में ढल रहा है ©भारद्वाज

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