"निगाहें तेरे जाने के बाद कई बरस घुट घुट कर मरता रहा हूँ मैं
ना जाने आज एक दोस्त ने शाराब से मिला दिया
ओर बना एक जाम मेरे हाथ मे धमा दिया
लगा जैसे किसी डूबते हुए को किसी साक ने बचा लिया
आज भी मिलती है अनेकों ही रूप की रानीयों से पता नहीं क्या शोहदा सा नशा है तेरी उन निगाहों में की एक जटके तूने हमे खुद से ही चुरा लिया
महिफल मे बैठ कुछ कम करने के लिए हमे अपने सोऐ हुए दर्द को है जगा लिया
©Pagal Shayar
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