आज का दिन ही था जब मेरी ज़िंदगी का एक भ्रम टूटा था,
आख़िर कब तक बहते पानी में अपने आशियाने को संभाल के रखती,
एक दिन इस आशियाने को बिखरना ही था,
इस रोज मुकद्दर ने किस्मत में तो कुछ और ही लिख दिया था।
इस पल मे मेरी पूरी जिंदगी ही बदल के रख दी थी,
किस्मत के लिखें लेख को मै समझ नहीं पा रही थी।
मन में हजारों सवाल उमड़ रहे थे,
मन बैचेन था
वक्त का पहिया घूमते गया
मेरे सवालों के जवाब नियति देते गया
आज इतने बरस बाद ज़िंदगी में एक सुकुन है,
आज वक्त के साथ जिंदगी एक नई उड़ान भरने को तैयार हैं।
©Swati Soni
#sagarkinare