सोचु तो बस तुम्हे ही सोचु हर पल मैं ,
ज़हन में कोई और ख्यालात नहीं ,,
जाने कैसी मोहब्बत कर बैठे है हम ,
बस ख्वाबो में ही मिलता है , हकीकत की
मुलाकात नही ,,
इस जुदाई में हर लम्हा चुभता है खंज़र की तरह ,
सारी ज़िन्दगी हिज़्र में काटनी है, मुक्कमल वस्ल
की रात नहीं ,,
आज खामोशी को खामोशी से बात करने दो ,
ज़ुबा से कुछ बोलू , ऐसे दिल के मेरे हालात नहीं ,,
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