White खुली मुड़ेर पर इक दिया जला कर रखा है
मैंने परिंदों को दोस्त बना कर रखा है
मुकम्मल होना जिनका मुमकिन ही नहीं
मैंने उन ख़्वाबों को आंखों में छुपा कर रखा है।।
मैं किसी के खयालों में तीसरा भी न सही
इस कदर मैंने अरमानों को दबा कर रखा है।
तुम्हें सब्र की कमी हो तो कहना मुझे,
मैंने जरूरत से ज्यादा जमा कर रखा है।।
©Dr Amit Gupta
#love_shayari