कभी ख़ामोशी की चीख सुनो , बेचारी बड़ी शोर मचाती है!
जब एक स्त्री अपनी अधूरी हसरतो को पास बुलाती है!!
इन खामोशियों ने मेरे अंदर बहुत शोर मचाया हैँ
चीख चीख कर अपना सबकुछ अपनी आँखो से बताया हैँ!!
चुप होठों से होकर भी, आँखो को संभाल नहीं वो पाती हैँ!
चट्टानों सी मजबूत आसमा तक,मगर वो बादल बनकर जमीं पर गिर जाती हैँ!!
©payal singh
#khamoshiyan