स्कूल का पहला दिन आज भी याद हैं मुझे मेरा प्यारा व | हिंदी Poetry

"स्कूल का पहला दिन आज भी याद हैं मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल, जहां जाना लगता था फिजूल। जहां पर पढाया हुआ जाते थे भूल, पार्क में खिले होते थे चारो और फूल। जहां दोस्तों के साथ जाते थे सब दुख भूल, आज भी याद हैं मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल। जहां होता था सीनियर से पंगा, जूनियर को तो सब बोलते थे चंगा। क्लास के बच्चे थे सब बेमिसाल, मानिटर बनकर करते थे सब धमाल। गेम पीरियड में बस्ती थी जान, प्ले ग्राउंड में हर वक़्त रहता था ध्यान। मार्क के लिए करते थे सब फाइट, रहते थे कोमपीटीशन के लिए हर वक़्त टाइट। आज भी याद है मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल, जहां टीचर थे सब विद्वान, देते थे हर रोज हमे ज्ञान, तेज हो जाता था हमारा विज्ञान। देश भक्ति का पाठ थे पढाते, जाति धर्म का भेदभाव दूर थे भगाते। आज भी याद हैं मुझे मेरा वो प्यारा स्कूल, जहां हम भविष्य ब्राइट थे बनाते, फेवरिट टीचर के लिए सब से लड़ जाते। वो भी क्या दिन थे ,जो बिताए मैने दोस्तो के संग थे, सब टीचर भरते जीने की एक नई उमंग थे। स्कूल लाइफ ही प्यारी थी, जहां पढ़ाई के साथ साथ गेम से भी यारी थी। आज भी याद आता है स्कूल, जहां जूनियर को बनाते थे फूल, इतनी आसानी से कैसे जाऊं उसको भूल। ©Amarjeet Singh"

 स्कूल का पहला दिन आज भी याद हैं मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल,
जहां जाना लगता था फिजूल।
जहां पर पढाया हुआ जाते थे भूल,
पार्क में खिले होते थे चारो और फूल।
जहां दोस्तों के साथ जाते थे सब दुख भूल,
आज भी याद हैं मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल।
जहां होता था सीनियर से पंगा,
जूनियर को तो सब बोलते थे चंगा।
क्लास के बच्चे थे सब बेमिसाल,
मानिटर बनकर करते थे सब धमाल।
गेम पीरियड में बस्ती थी जान,
प्ले ग्राउंड में हर वक़्त रहता था ध्यान।
मार्क के लिए करते थे सब फाइट,
रहते थे कोमपीटीशन के लिए हर वक़्त टाइट।
आज भी याद है मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल,
जहां टीचर थे सब विद्वान,
देते थे हर रोज हमे ज्ञान,
तेज हो जाता था हमारा विज्ञान।
देश भक्ति का पाठ थे पढाते,
जाति धर्म का भेदभाव दूर थे भगाते।
आज भी याद हैं मुझे मेरा वो प्यारा स्कूल,
जहां हम भविष्य ब्राइट थे बनाते,
फेवरिट टीचर के लिए सब से लड़ जाते।
वो भी क्या दिन थे ,जो बिताए मैने 
दोस्तो के संग थे,
सब टीचर भरते जीने की एक नई उमंग थे।
स्कूल लाइफ ही प्यारी थी,
जहां पढ़ाई के साथ साथ गेम से भी यारी थी।
आज भी याद आता है स्कूल,
जहां जूनियर को बनाते थे फूल,
इतनी आसानी से कैसे जाऊं उसको भूल।

©Amarjeet Singh

स्कूल का पहला दिन आज भी याद हैं मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल, जहां जाना लगता था फिजूल। जहां पर पढाया हुआ जाते थे भूल, पार्क में खिले होते थे चारो और फूल। जहां दोस्तों के साथ जाते थे सब दुख भूल, आज भी याद हैं मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल। जहां होता था सीनियर से पंगा, जूनियर को तो सब बोलते थे चंगा। क्लास के बच्चे थे सब बेमिसाल, मानिटर बनकर करते थे सब धमाल। गेम पीरियड में बस्ती थी जान, प्ले ग्राउंड में हर वक़्त रहता था ध्यान। मार्क के लिए करते थे सब फाइट, रहते थे कोमपीटीशन के लिए हर वक़्त टाइट। आज भी याद है मुझे मेरा प्यारा वो स्कूल, जहां टीचर थे सब विद्वान, देते थे हर रोज हमे ज्ञान, तेज हो जाता था हमारा विज्ञान। देश भक्ति का पाठ थे पढाते, जाति धर्म का भेदभाव दूर थे भगाते। आज भी याद हैं मुझे मेरा वो प्यारा स्कूल, जहां हम भविष्य ब्राइट थे बनाते, फेवरिट टीचर के लिए सब से लड़ जाते। वो भी क्या दिन थे ,जो बिताए मैने दोस्तो के संग थे, सब टीचर भरते जीने की एक नई उमंग थे। स्कूल लाइफ ही प्यारी थी, जहां पढ़ाई के साथ साथ गेम से भी यारी थी। आज भी याद आता है स्कूल, जहां जूनियर को बनाते थे फूल, इतनी आसानी से कैसे जाऊं उसको भूल। ©Amarjeet Singh

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#SchoolKaPehlaDin @Jaya Uncaptured

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